Dr. नेपाली (गोरखा) समाज का लोक संस्कृति का पर्व - दसैँ (विजया दशमी)
सार
भारतवर्ष में गोरखा शब्द से नेपाली भाषी समुदाय के लोगों को जाना जाता है। नेपाली भाषा नेपाल, भारत (सिक्किम,आसाम,दार्जिलिंग,मणिपुर,अरुणाचलप्रदेश,मेघालय, उत्तराखण्ड,हिमाचलप्रदेश), भूटान, तिब्बत, म्यांमार में रह रहे गोरखा समुदाय के लोगों की मातृभाषा है। नेपाली भाषी लोगों को यह नाम ८वीं शताब्दी के हिन्दू योद्धा संत श्रीगुरु गोरखनाथ से प्राप्त हुआ था। भारतीय संस्कृति से अनुप्राणित सनातन धर्म की मूल-परम्पराओं को जीवित रखने में भारतवर्ष के विभिन्न देशों की अहम भूमिका है। यही कारण है कि भारतवर्ष के भारत, नेपाल, भूटान आदि विभिन्न देश राजनैतिक, भौगोलिक दृष्टिकोण से अलग-अलग होने पर भी सांस्कृतिक, धार्मिक परम्पराओं से एक हैं। भारतवर्ष के देश भौगोलिक रूपी शरीर से अलग अलग होने पर भी इन सभी शरीर में विद्यमान आत्मा एक है। अतः राजनैतिक रूप से सुदृढ करने के लिए परस्पर में मित्रराष्ट्र का व्यवहार किया जाता है। भारतवर्ष के विषय में यह श्लोक उद्धृत किया जाता है –
उत्तरं यत्समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणम्।
वर्षं तद् भारतं नाम भारती यत्र संततिः॥
अर्थात् समुद्र के उत्तर में और हिमालय के दक्षिण में जो देश है उसे भारत कहते हैं तथा उसकी संतानों (नागरिकों) को भारती कहते हैं।
सत्य सनातन वैदिक धर्मावलम्बियों के प्रमुख पर्वों और त्यौहारों की एक लम्बी सूची है, जिसमें सभी त्यौहारों का महत्त्व है। आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से प्रारम्भ होकर दशमी तिथि पर्यन्त मनाया जाने वाला यह पर्व, शारदीय नवरात्र, विजया दशमी पर्व आदि विभिन्न नामों से जाना जाता है। यह पर्व समस्त सनातन धर्मावलम्बियों के लिए विशेष पर्व है जिसमें त्रिगुणात्मिका शक्ति की उपासना की जाती है। नेपाली (गोरखा) समाज में उक्त पर्व के अवसर पर किये जाने वाले कृत्यों, आचरणों, विधियों, लोकाचारों से परिचय करवाने के लिए इस शोधपत्र का निबंधन किया गया है। जिसके अध्ययन से नेपाली (गोरखा) समाज के लोगों द्वारा शारदीय नवरात्रों व विजया दशमी पर्वों में किये जाने वाले आचरणों से आप परिचय हो सकेंगे।