चम्पूकाव्यः परिभाषा एवं स्वरूप
Abstract
गद्य-पद्यमयी रचना वैदिक काल से ही होती रही है। संहिताएं, ब्राह्मणग्रन्थ, आरण्यक, उपनिषद्, महाभारत, विष्णुपुराण और भागवत पुराण, जातककथा, शिलालेख आदि सबमें इस शैली के दर्शन होते हैं। तथापि ऐसी मिश्र रचना, जिसे सर्वांग चम्पूकाव्य कहा जा सके, दसवीं ई. शती से पूर्व उपलब्ध नहीं होती है।
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Published
2023-10-26
How to Cite
Rajendra Prasad Mishra. (2023). चम्पूकाव्यः परिभाषा एवं स्वरूप. जम्बूद्वीप - the E-Journal of Indic Studies (ISSN: 2583-6331), 2(2). Retrieved from http://journal.ignouonline.ac.in/index.php/jjis/article/view/1193
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