किरातार्जुनीयम् महाकाव्य का सामुद्रिकशास्त्रीय अध्यरयन

Authors

  • Dr. Neeraj Kumar Joshi

Abstract

महाकवि भारवि द्वारा प्रणीत किरातार्जुनीयम् संस्कृत महाकाव्यों में बृहत्त्रयी के अन्तर्गत परिगणित प्रथम महाकाव्य है। इस महाकाव्य में ज्योतिषशास्त्र संबद्ध विविध विषयों की चर्चा विशद् रूप में मिलती है। उसमें भी इस महाकाव्य के अन्तर्गत महाकवि द्वारा सामुद्रिकशास्त्र विषयक विशिष्ट स्थिति पर चर्चा महाकवि ने प्रसंगानुसार की है। महाकाव्य में कथा प्रसंग के नायक अर्जुन ने किरात वेशधारी (किराताधिपति) भगवान् शंकर के साथ परस्पर युद्ध किया, तदुपरान्त अर्जुन के पराक्रम से प्रसन्‍न्‍ा होकर भगवान् ने अपना प्रमुख अस्त्र पशुपतास्त्र वरदान स्वरूप उसे प्रदान किया। उक्त घटनाक्रम को महाकवि द्वारा विभिन्‍न स्थानों में दिव्य चरित्र संबद्ध कथा प्रसगों के वर्णन रूपों में मिलता है, उन कथांशों के अन्तर्गत ही विभिन्‍न स्थानों में मनुष्य के विभिन्‍न शरीरागों की आकृति का ज्ञान सामुद्रिकशास्त्रानुगत करते हुए उनके शुभाशुभ विचारों का वर्णन ज्योतिष के सन्दर्भों में प्रस्तुत किया है।

Published

2024-06-25

How to Cite

Dr. Neeraj Kumar Joshi. (2024). किरातार्जुनीयम् महाकाव्य का सामुद्रिकशास्त्रीय अध्यरयन . जम्बूद्वीप - the E-Journal of Indic Studies (ISSN: 2583-6331), 3(1). Retrieved from http://journal.ignouonline.ac.in/index.php/jjis/article/view/1730