प्राचीन भारत के प्रमुख संवत्: एक अवलोकन

Authors

  • Dr. Mukesh Kumar Mishra

Abstract

प्राचीन भारतीय इतिहास के निर्माण एवं प्राचीन भारतीय शासकों के कालक्रम को निर्धारित करने के लिए भिन्न-भिन्न शासकों एवं उनके अनुयायियों द्वारा भिन्न-भिन्न कालों में उत्कीर्ण अभिलेखों, सिक्कों, मुहरों, दानपत्रों, शिलालेखों, पाण्डुलिपियों, शासनपत्रों आदि पर अंकित संवत् का उल्लेख एक महत्त्वपूर्ण व अनिवार्य सामग्री है। ये संवत् न केवल शासकों की कालगणना के लिए ही आवश्यक हैं, बल्कि तत्तत् शासकों के शासनकाल में प्रचलित सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक परिस्थितियों तथा उनके द्वारा किये गये लोककल्याणकारी कार्यों को जानने में भी सहायक सिद्ध होते हैं। प्राचीन भारतीय शासकों की लम्बी सूची के अनुरूप ही भारत के भिन्न-भिन्न प्रांतों के प्रान्तपतियों, शासकों आदि के द्वारा प्रचालित संवतों की भी एक दीर्घ सूची प्राप्त होती है। प्राचीन शासकों के द्वारा प्रचलित संवतों में से कई संवत् केवल इतिहास बनकर रह गये, किन्तु कुछ संवत् इतने लोकप्रिय हो गये कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में भी अपने अस्तित्व को बनाये हुए हैं तथा धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्ता के साथ-साथ अपनी राष्ट्रीय उपादेयता को सिद्ध कर रहे हैं और राष्ट्रीय व धार्मिक पंचांग और कलेण्डर का अभिन्न अंग बनकर कालगणना में अपनी भूमिका का निर्वहण कर रहे हैं। वस्तुतः भिन्न-भिन्न राजाओं अथवा राजवंशों के द्वारा प्रचलित संवत् जैसे नियमित कालसंकेतों के प्रयोग अकाट्य पुरातात्त्विक या अभिलेखीय साक्ष्यों व प्रमाणों के रूप में सहायक होते हैं। ये भारतीय इतिहास के अमूल्य धरोहर हैं।

Published

2024-06-25

How to Cite

Dr. Mukesh Kumar Mishra. (2024). प्राचीन भारत के प्रमुख संवत्: एक अवलोकन. जम्बूद्वीप - the E-Journal of Indic Studies (ISSN: 2583-6331), 3(1). Retrieved from http://journal.ignouonline.ac.in/index.php/jjis/article/view/1732