उपनिषदों में ब्रह्मविचार: एक मीमांसा
Abstract
उपनिषदें, ऋषि-चिन्तन-प्रसूत अध्यात्मविद्याकीःप्रसारिकाएँहैं।इनमेंतत्त्वज्ञान की उचाइयों का जो शिखर स्थापित हुआ है वह अजर और अमर है। मनुष्य जीवन के परमफल रूप मोक्ष का घोष करती हुई उपनिषदों ने भारतीय मनीषा का प्रसारण समूचे विश्व में किया है। उपनिषदों का सर्वोच्च ज्ञान, ब्रह्मज्ञान ही है। ब्रह्म क्या है, इस विषय पर हमारे शास्त्रों में पर्याप्त मन्थन हुआ है। विभिन्न उपनिषदों में विभिन्न स्थलों पर विभिन्न प्रकार से ब्रह्म-विचार समाविष्ट हैं। शास्त्र-वर्णित चौरासी लाख योनियों में केवल हम मनुष्य ही ब्रह्म विषयक विचार कर सकते हैं , हलांकि 'ब्रह्म' 'विचार' में नहीं समा सकता क्योंकि विचारों की वैचारिकता का स्रोत भी स्वयं ब्रह्म ही है। प्रकृत शोधपत्र में व्यावहारिक दृष्टिकोण से उपनिषद् सम्बन्धी ब्रह्म विषयक विचारों की एक मीमांसा प्रस्तुत करने का प्रयत्न किया जा रहा है।