भारतीय परंपरा में अट्ठारह विद्यास्थान

Authors

  • Dr. Subodhkant Mishra Center for Indic Studies, Indus University, Ahmedabad, Gujarat

Keywords:

हिन्दी

Abstract

‘भारतस्य द्वे प्रतिष्ठे,संस्कृतसंस्कृतिस्तथा’ इस कथन के ही आलोक में अथाह ज्ञान राशि को स्वयं में समाहित किये हुए, अनंत काल से अनवरत, संस्कृत ने भारतीय संस्कृति के प्राण कहे जाने वाले शास्त्रों ग्रंथों को संजोने का काम किया। ज्ञान रूपी प्रकाश में निरत रहने वाले भारत की इन शास्त्रीय विद्याओं को कुल 18 भागों में वर्गीकृत किया गया। 18 के अन्यान्य उदाहारण भी हमारे समक्ष उपस्थित हैं । इनमें प्रमुख रूपेण 18 पुराण और 18 उपपुराण 18 स्मृतियाँ हैं। भगवद्गीता में 18 अध्याय हैं, और महाभारत पाठ में 18 खंड (पर्वण) हैं। महाभारत का युद्ध 18 दिनों तक चला था। युद्ध के बाद, पांडवों ने 36 वर्षों तक शासन किया (18 गुणा 2)। हम 18 के कुछ अन्य समूह को भी बाँट सकते हैं: जैसे 18 विवाद-पद (कानून की अदालत में मुकदमा), 18 धान्य (अनाज के प्रकार ), या 18 उपकार (देवताओं को पूजा के रूप में दी जाने वाली सेवाएँ)।

Published

2024-11-19

How to Cite

Mishra, D. S. (2024). भारतीय परंपरा में अट्ठारह विद्यास्थान. जम्बूद्वीप - the E-Journal of Indic Studies (ISSN: 2583-6331), 3(2). Retrieved from http://journal.ignouonline.ac.in/index.php/jjis/article/view/1933