पंचमहाभूत एवं पंचकोश की स्वास्थ्य सम्बन्धी अवधारणा पर आयुर्वेद एवं औपनिषदिक दृष्टि
Abstract
पंचमहाभूत और चेतना के एकीकरण से "पुरुष" या मानव का निर्माण होता है। प्रत्येक महाभूत में इंद्रिय अंगों से संबंधित प्रमुख कार्य अंतर्निहित होते हैं। जैसा कि नीचे दिया गया है, अन्य महाभूतों के सूक्ष्म तत्वों के संयोग के कारण महाभूत अन्य उन्नत इंद्रियों का अनुभव कर सकता है। आयुर्वेद में पंचमहाभूत सिद्धांत का प्रयोग रोगों के प्रबंधन में किया जाता है। जिसमें रोग के मूल प्रेरक कारकों की पंचभौतिकता का निदान किया जाता है। और शरीर में संतुलन बनाये रखने के लिए पंचभौतिक सिद्धांत पर आधारित औषधियों का प्रयोग किया जाता है। वहीं आध्यात्मिक दृष्टिकोण व्यक्तिगत आयाम, सामाजिक आयाम और पारलौकिक आयाम के मध्य एक सहसंबंध पर केन्द्रित है। आध्यात्मिक दृष्टिकोण की आधारभूत विशेषताएं इस प्रकार हैं: उचित जीवन शैली, दूसरों के साथ संबंध, जीवन के अर्थ और उद्देश्य के बारे में जानना, और जीवन की श्रेष्ठता। समग्र विकास के आध्यात्मिक दृष्टिकोण को उपनिषदों के पंचकोश सिद्धांत के साथ जोड़ा जा सकता है।