"साहित्य में अभिव्यक्त राष्ट्रीय चेतना का भाव"

लेखक

  • Dr.Purushottam Patil KBC North Maharshtra University

सार

            भारतीयों के लिए राष्ट्र या देश कोई भूमि का टुकड़ा नहीं जिसका उपयोग वे  अपने अधिवास मात्र के लिए करते हों अपितु राष्ट्र और उसकी चेतना का स्पंदन भारतीय जनमानस के रक्त में संचरण करता है। इस बात को हर युग मेंहम  भारतवासियों द्वारा अनुभव किया जाता है। राष्ट्र और उसका गौरवभान सदियों से भारत जन के हृदयों में था है और रहेगा। जब भी राष्ट्र पर कोई विपदा आती है तो यह भाव तीव्रता से उभरकर सामने आता है। भारतीय साहित्य ने इस राष्ट्र भाव को न केवल सँजोया है अपितु उसकी अभिवृद्धि में भी साहित्य का असाधारण योगदान है। संस्कृति-समाज-साहित्य तीनों अन्योनाश्रित हैं जो भारतीय जनजीवन का एक अभिन्न हिस्सा है।हर भारतीय इन तत्वों से अनुप्राणित होता है। साहित्य का यह अनन्यसाधारण अवदान भारतवर्ष की अमूल्य निधि है।’’

प्रकाशित

2024-06-25