‘वासकसज्जा ज्योत्सना’ आडम्बरों से मुठभेड़ करती कविताएँ

लेखक

  • Dr.Arun Kumar Nishad Assistant Professor, Department of Sanskrit, Mother Teresa Women's College Katkakhanpur Dwarikaganj Sultanpur (Uttar-Pradesh)

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बीज शब्द : समकालीन संस्कृत कविता, आधुनिक भावबोध ।

सार

शोधसार

 

समकालीन संस्कृत कविता जीवन यथार्थ के हर कठिन प्रश्न के सामने खड़ी मिलती है| खड़ी ही क्यों, निरन्तर उससे जूझती भी है और जीवन की सार्थकता के प्रति सचेष्ट होकर एक बेहतर भविष्य की नींव भी रखती है | आज की कविता का मूल उद्देश्य यही है | यह कविता समकालीन जीवन के विविध एवं व्यापक परिदृश्यों से सीधे जुड़ती है | डॉ.हर्षदेव माधव की कविताओं  के ke liye  भीतर जब हम प्रवेश करते हैं तो सहज ही महसूस हो जाता है कि समकालीन परिवेश की सच्चाईयों के प्रति जागरूक ही नहीं, बल्कि उन सच्चाईयों की विद्रूपताओं के विरूद्ध आवाज उठाने में सक्षम है | सृजन यदि अपने समकालीन परिवेश से आँखें चुरा लेता है तो वह न तो जीवन्त व यथार्थ बन पाता है और न उसका प्रभाव स्थायी होकर किन्हीं मूल्यों को उत्प्रेरित ही करता है | साहित्य वस्तुगत सत्य प्रकट करें,सभ्य और उदात्त समाज के लिए प्रयास ही काव्य का एकमात्र उद्देश्य है।

 

प्रकाशित

2023-05-26