‘वासकसज्जा ज्योत्सना’ आडम्बरों से मुठभेड़ करती कविताएँ
Keywords:
Keywords : Samkalin Sanskrit Kavita, Adhunik BhawabodhAbstract
समकालीन संस्कृत कविता जीवन यथार्थ के हर कठिन प्रश्न के सामने खड़ी मिलती है| खड़ी ही क्यों, निरन्तर उससे जूझती भी है और जीवन की सार्थकता के प्रति सचेष्ट होकर एक बेहतर भविष्य की नींव भी रखती है | आज की कविता का मूल उद्देश्य यही है | यह कविता समकालीन जीवन के विविध एवं व्यापक परिदृश्यों से सीधे जुड़ती है | डॉ. हर्षदेव माधव की कविताओं के भीतर जब हम प्रवेश करते हैं तो सहज ही महसूस हो जाता है कि समकालीन परिवेश की सच्चाईयों के प्रति जागरूक ही नहीं, बल्कि उन सच्चाईयों की विद्रूपताओं के विरूद्ध आवाज उठाने में सक्षम है | सृजन यदि अपने समकालीन परिवेश से आँखें चुरा लेता है तो वह न तो जीवन्त व यथार्थ बन पाता है और न उसका प्रभाव स्थायी होकर किन्हीं मूल्यों को उत्प्रेरित ही करता है | साहित्य वस्तुगत सत्य प्रकट करें,सभ्य और उदात्त समाज के लिए प्रयास ही काव्य का एकमात्र उद्देश्य है।