भारतीय कला और बौद्ध कला - एक तुलनात्मक अध्ययन

Authors

  • Dr. Nishith Gaur Uttar Pradesh

Abstract

भर्तृहरि  ने कला के ज्ञान से रहित मनुष्य को पूँछ और सींग रहित पशु  के समान माना है  यथा 'साहित्य संगीत कला विहीन: साक्षात पशुपुच्छविषाणहीन:' मन के भावों को सौंदर्य के साथ दृश्य रूप में प्रकट करना ही कला है। कला मानव के हृदय के इतनी निकट होती है कि जो कुछ मन में होता है वह कला में परिलक्षित हो जाता है। कला मानव की सौंदर्य कल्पना को साकार रहती है।

कला शब्द की व्युत्पत्ति कल + अच् +टाप  के संयोग से हुई है जिसका अर्थ है शब्द करना, बजना, आवाज करना। कला शब्द के अर्थ है जिनमें किसी भी वस्तु का लघु अंश, चंद्रमण्डल का सोलहवाँ अंश, राशि के तीसवें भाग का साठवाँ अंश। कला शब्द की एक अन्य व्युत्पत्ति इस प्रकार से की जा सकती है- क+ला- कामदेव, सौंदर्य, प्रसन्नता, आनंद। "कं लाति ददातीतिकला अर्थात सौंदर्य को दृश्य रूप में प्रकट कर देना ही कला है।"

Published

2023-05-30

How to Cite

Gaur, D. N. (2023). भारतीय कला और बौद्ध कला - एक तुलनात्मक अध्ययन. जम्बूद्वीप - the E-Journal of Indic Studies (ISSN: 2583-6331), 2(1). Retrieved from http://journal.ignouonline.ac.in/index.php/jjis/article/view/893